G20 countries
वर्तमान जी 20 उस मूल जी 20 से विकसित हुआ है जो सितंबर, 1999 में 1997 के पूर्वी एशियाई संकट के बाद 19 मुख्यद अर्थव्येवस्थाओं तथा यूरोपीय संघ के वित्ते मंत्रियों तथा सैंट्रल बैंक के गवर्नर के मंच के रूप में स्थाुपित किया गया था। मंच का सृजन उभरती हुई तथा विकासशील अर्थव्येवस्थाेओं के साथ परामर्श तथा समन्ववय को बढ़ाने के लिए सात प्रमुख औद्योगिक देशों (कनाडा, फ्रांस,जर्मनी, इटली, जापान, यूके तथा अमरीका) की पहल पर सृजित किया गया था और यह महसूस किया गया था कि इनमें से कुछ प्रमुख देश वैश्विवक आर्थिक मुद्दों से संबंधित चर्चाओं और निर्णयों में शामिल नहीं हैं। यद्यपि अंतर्राष्ट्रीीय वित्तीनय प्रणाली में उनका प्रभाव बढ़ रहा था।
स्थािपना के बाद, इस समूह के वित्तद मंत्री तथा सैंट्रल बैंक के गवर्नर प्रारंभ में बर्लिन में 15-16 दिसंबर, 1999 से हर साल मिलते रहे हैं। बाद की बैठकें 2000-2001 में कनाडा में, 2003 में मैक्सि को में, 2004 में जर्मनी में, 2005 में चीन में, 2006 में आस्ट्रेअलिया में, 2007 में दक्षिण अफ्रीका में तथा 2008 में ब्राजील में आयोजित की गई थी।
जी 20 के वित्त मंत्री तथा सैंट्रल बैंक के गवर्नर वर्ष में दो बार मिलते ही हैं- आमतौर पर आईएमएफ- विश्वत बैंक की वार्षिक/स्प्रिंबग बैठकों के आसपास तथा जी 20 नेताओं के शिखर सम्मेफलन से पहले। वास्तयव में जी 20 के वित्तै मंत्रियों का वक्तहव्यन नेताओं की घोषणा तथा विज्ञप्ति0 के लिए सामग्री का निर्माण करता है।
पहला जी 20 के नेताओं का शिखर सम्मे्लन 2008 के वित्तीैय संकट को ध्यान में रखते हुए अमरीका के राष्ट्र्पति की पहल पर 14-15 नवंबर, 2008 को वाशिंगटन डीसी में आयोजित किया गया था। नेताओं का मानना था कि संकटपूर्व मजबूत वैश्वि-क विकास और पूंजीगत प्रवाह के दौरान, (क) कुछ उन्नरत देशों ने वित्तीकय बाजार में जोखिम निर्माण की पर्याप्ती रूप से सराहना नहीं की और उन्हें दूर नहीं किया और (ख) असंगत और अपर्याप्तम समन्विरत आर्थिक नीतियों, अपर्याप्तर संरचनात्म क सुधारों से असंपोषणीय वैश्विकक व्या्पक आर्थिक परिणाम सामने आए जिनसे बाजार में बहुत व्यतवधान हुआ। इस पृष्ठसभूमि में, नेता, विकास को बहाल करने के लिए, करीब व्यापक आर्थिक सहयोग पर आधारित एक व्यापक नीति की प्रतिक्रिया के बारे में नकारात्मक सोच से बचने और वित्तीय प्रणाली को स्थिर करने की क्रिया के माध्यम से उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों के समर्थन, घरेलू मांग को प्रोत्साहित करने के लिए राजकोषीय उपायों का उपयोग करने के लिए उभरती अर्थव्यवस्थाओं और नकदी सुविधाओं और कार्यक्रम के समर्थन के माध्यम से वित्त तक पहुँच प्राप्त करने तथा मदद के लिए सहमत हुए। नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक पर अपने साधन और क्षमता का उपयोग करके संकट की प्रतिक्रिया में अपनी भूमिका निभाने के लिए जोर दिया। नेताओं ने यह भी सुनिश्चित किया अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और अन्य संस्था ओं के पास संकट पर काबू पाने में अपनी भूमिका निभाना जारी रखने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं।
इन के अलावा, नेता भविष्य के संकट से बचने के लिए वित्तीय बाजार और नियामक व्यवस्थाओं को मजबूत करने के लिए सुधारों को लागू करने पर सहमत हुए। इन सुधारों में, (i) पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत बनाना (ii) ध्वनि विनियमन बढ़ाना (iii) वित्तीय बाजारों में अखंडता को बढ़ावा देना, (iv) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मजबूत करना और (v) अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में सुधार शामिल हैं।
नेताओं ने प्रत्येमक क्षेत्रों में तत्का ल कार्य योजना तथा मध्यरम अवधि की कार्य योजना की घोषणा की। जी 20 के नेताओं का प्रथम शिखर सम्मेयलन वैश्वि क संकट के मूल कारणों पर सामान्यी समझ तक पहुंचने, तत्कांल संकट को दूर करने के लिए देशों द्वारा लिए गए अथवा लिए जाने वाले कार्यों की समीक्षा करने, वित्तीखय बाजारों को सुधारने के लिए सामान्यल सिद्धांतों पर सहमत होने, तथा उन सिद्धांतों को कार्यन्विात करने के लिए कार्य योजना प्रारंभ करने में सफल रहा था। नेताओं ने मुक्त बाजार के सिद्धांतों के प्रति अपनी वचनबद्धता दोहराई। नेता संरक्षणवाद को अस्वीकार करने के लिए भी सहमत हुए और अगले 12 महीनों के लिए किसी भी नए व्यापार या निवेश बाधाओं को आरोपित करने से आरोपित करने से दूर रहने पर भी सहमत हुए। नेताओं ने विशिष्ट सिफारिशों को विकसित करने के लिए अपने वित्त मंत्रियों को कहा जिनकी 2009 में अगले शिखर सम्मेलन में समीक्षा की जाएगी।
आगे तत्काल कार्रवाई की योजना पर प्रगति रिपोर्ट 2009 में अध्यक्ष यूके द्वारा तैयार की गई थी। रिपोर्ट लंदन नेताओं के शिखर
सम्मेिलन के लिए तैयारी हेतु जी 20 के वित्तम मंत्रियों तथा सैंट्रल बैंक के गवर्नरों को 14 मार्च, 2009 को उनकी बैठक में प्रस्तुित की गई थी। अपनी विज्ञप्तित में, वित्तर मंत्री तथा सैंट्रल बैंक के गवर्नर वैश्विनक विकास के पुनरुद्धार तथा उधार देने के लिए सहायता तथा वैश्विंक वित्तीतय प्रणाली को मजबूत करने के लिए सुधारों के लिए कार्रवाई करने के लिए सहमत हुए और वित्तीीय सुधार और बहाली के लिए एक रूपरेखा अपनायी।
2 अप्रैल, 2002 को आयोजित जी 20 के नेताओं के दूसरे शिखर सम्मेरलन में नेताओं ने यह मानाकि पिछली बार जब वे नवंबर, 2008 में मिले थे और उन्होंतने वैश्विसक संकट के वैश्विंक हल की मांग की थी, तब से संकट और गहरा हो गया है। उन्हों ने शपथ ली कि विश्वम अर्थव्यावस्था को मंदी से बाहर लाने के लिए मिलकर काम करेंगे और (क) विश्वाशस, विकास और नौकरियों की बहाली (ख) उधार देने की बहाली के लिए वित्तीकय प्रणाली में सुधार (ग) पुन:विश्वालस बनाने के लिए वित्तीनय विनियमन को मजबूत करके (घ) इस संकट पर काबू पाने के लिए अंतर्राष्ट्री य वित्ती य सुधारों के निधिपोषण एवं सुधार तथा ऐसे ही भावी संकटों को रोकने के द्वारा भविष्य में ऐसे ही संकट को रोकने (ङ) संपन्नाता को कम करने के लिए वैश्विकक व्या्पार तथा निवेश के संवर्धन और संरक्षणवाद को अस्वींकार करने तथा (च) समावेशी, हरित तथा सतत पुनप्राप्तिक के निर्माण, के द्वारा भविष्यन में ऐसे ही संकट को रोकेगें।
250 बिलियन अमरीकी डालर के नए एसडीआर आवंटन के समर्थन के लिए, एमबीडी द्वारा अतिरिक्त उधार देने के कम से कम 100 बिलियन के समर्थन के लिए, व्यािपार वित्तक के लिए 205 बिलियन अमरीकी डालर के समर्थन को सुनिश्चि त करने के लिए तथा सबसे गरीब देशों के लिए रियायती वित्तम हेतु सहमत आईएमएफ स्वचर्ण बिक्री से अतिरिक्त संसाधनों के प्रयोग के लिए उधारदाता आईएमएफ के पास उपलब्धह संसाधनों को तिगुना करके 750 बिलियन अमरीकी डालर तक करने पर सहमत हो गये हैं।
वित्ती य पर्यवेक्षण और विनियमन को मजबूत करने के लिए नेताओं ने वित्तीसय स्थिमरता फोरम (एफएसएफ) के लिए एक उत्तकराधिकारी के रूप में, एक नए वित्तीतय स्थिथरता बोर्ड (एफएसबी) की स्थासपना की और यह भी घोषणा की कि बैंकिंग गोपनीयता का युग खत्म हो गया है। नए एफएसबी में सभी जी-20 देश, एफएसएफ सदस्या स्पेवन और यूरोपीय आयोग शामिल हैं । एफएसबी को प्रमुख रूप से व्याीपक आर्थिक और वित्तीसय जोखिम की पूर्व चेतावनी देने और उन्हें पता करने के लिए आवश्याक कार्रवाई करने के लिए अंतर्राष्ट्री य मुद्राकोष के साथ सहयोग करने; एक उच्चे गुणवत्तारयुक्त वैश्वि्क लेखांकन मानक के लिए टैक्सक हैवन्सव सहित असहयोगी निकायों के खिलाफ कार्रवाई करने; तथा क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा अच्छेे व्या पार के अंतरराष्ट्री य कोड को सुनिश्चि त करने के लिए उनका विनियामक पर्यवेक्षण और पंजीकरण करने का अधिदेश सौंपा गया था ।
प्रगति का आकलन करने के लिए जी-20 देशों के वित्तप मंत्रियों और केन्द्रीरय बैंक के गर्वनरों की अगली बैठक 4-5 सितंबर 2009 को लंदन में आयोजित की गई । इस बैठक में यह बात उभरकर सामने आई कि अभूतपूर्व निर्णायक और ठोस नीति कार्रवाई वित्तीलय स्थििरता में और गिरावट को रोकने में मददगार साबित हुई है और वैश्विाक मांग को बल मिला है । बैठक में यह अपील की गई कि वित्तीरय पुनरूत्थाऔन सुनिश्चिमत होने तक विकास और रोजगार के लिए तथा आवश्य क समर्थन उपायों एवं मौद्रिक तथा राजकोषीय नीतियों को जारी रखने के लिए दृष्टि कोण के बारे में सतर्क रहने की जरूरत है ।
एफएसबी ने ठोस प्रतिपूर्ति व्य वहार और उनके कार्यान्वजयन मानकों के लिए वित्तीवय स्थिबरता फोरम (एफएसएफ) सिद्धांतों के कार्यान्वकयन की एक अन्यऔ संस्था द्वारा समीक्षा कराने का निर्णय लिया।
24-25 सितंबर, 2009 को पिट्सबर्ग में आयोजित जी-20 देशों के नेताओं की तीसरी शिखर सम्मेललन में नेताओं ने यह नोट किया कि वित्तीबय पुनरुत्थांन सुनिश्चिंत करने के लिए आवश्यसक सब कुछ किए जाने के लिए जी-20 की सशक्तप प्रतिक्रियाओं के फलस्वरूप वैश्वि क गतिविधियों में खतरनाक, तेज गिरावट को रोकने और वित्तीीय बाजारों को स्थियर बनाने के लिए काम किया गया था । औद्योगिक उत्पाेदन बढ़ना शुरू हो गया । अंतरराष्ट्री य व्यांपार सुचारू हो गया, वित्तीयय संस्थारएं आवश्यूक पूंजी जुटाने में सक्षम हो गईं, वित्तीोय बाजार निवेश करने और उधार देने के लिए अपनी इच्छा प्रदर्शित कर रहे थे और समग्र आत्म विश्वाषस में सुधार हुआ । उन्हेंे यह ज्ञात हुआ कि आर्थिक पुनरुत्थारन और सुधार की प्रक्रिया अभी भी अधूरी रह गई है तथा 21वीं सदी मजबूत, सतत और संतुलित विकास के लिए नींव रखने हेतु आवश्य क नीतियों को अपनाने के लिए वचनबद्ध है। इसके लिए उन्हों ने मजबूत, सतत और संतुलित विकास के लिए एक साथ काम करने के लिए नीतियों को तैयार करने की दृष्टित से एक ढांचा सृजित करने के लिए सहमति व्येक्तो की ।
हालांकि वसूली और मरम्म1त की प्रक्रिया अधूरी रही । कई देशों में बेरोजगारी अस्वी्कार्य स्त र पर उच्च बनी रही और निजी मांग की वसूली के लिए परिस्थिमतियां अभी तक पूरी तरह सुधरी नहीं थीं । अत: नेतागण इस बात पर सहमत हुए कि (i) मजबूत, सतत और संतुलित वैश्वििक विकास उत्प न्नी करने के लिए नीतियों को निर्धारित करने तथा जी-20 देशों द्वारा एक साथ काम करने के लिए एक ढांचा तैयार किया जाए; (ii) यह सुनिश्चिात किया जाए कि संकटपूर्ण स्थिकतियों से उबारने के लिए बैंकों तथा अन्य वित्तीचय कंपनियों के लिए पर्याप्तथ विनियामक प्रणाली स्थाथपित की जाए; (iii) 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने के लिए वैश्विपक परिस्थि तियों में सुधार लाया जाए; (iv) अवैध बहि:प्रभाव में कमी लाने के लिए नियंत्रण स्थाथपित करते हुए दुनिया के सबसे गरीब व्ययक्ति यों के लिए खाद्य, ईंधन और वित्तक तक पहुंच को बढ़ाने के लिए नए कदम उठाए जाएं; (v) सर्वाधिक गरीब व्य क्तिययों के लिए लक्षित समर्थन उपलब्धप कराते समय अदक्ष फॉसिल ईंधनों पर मध्यकालिक सब्सिलडी को क्रमश:समाप्तत किया जाए तथा युक्तिससंगत बनाया जाए; (vi) व्या पार में खुलापन बनाए रखा जाए तथा (vii) पर्यावरण के अनुकूल तथा अधिक टिकाऊ विकास की ओर आगे बढ़ा जाए।
नेताओं ने नीति ढांचे का पारस्प रिक मूल्यां कन और वैश्विुक विकास के पैटर्न और स्थिरता के लिए उन ढांचों के प्रभाव की एक सहकारी प्रक्रिया शुरू करके नवंबर तक नए ढांचे को आरंभ करने के लिए वित्तउ मंत्रियों तथा केंद्रीय बैंक के गर्वनरों से अपील की ।
इसके अलावा, नेताओं ने एफएसबी को ''एफएसबी मानकों के कार्यान्व यन की निगरानी और मार्च, 2010 तक यथा अपेक्षित अतिरिक्तब उपायों का प्रस्ता व करने के लिए'' अनुरोध किया ।
नेताओं ने जी-20 के व्याकपार तथा निवेश उपायों पर एक संयुक्तत रिपोर्ट तैयार करने के लिए ओईसीडी, विश्वक व्याापार संगठन तथा अंकटाड से भी अनुरोध किया ।
पिट्सबर्ग शिखर सम्मेवलन के प्रमुख परिणाम आपसी आकलन प्रक्रिया और अन्या संस्थाय से समीक्षा अपनाकर प्रस्फुकटन (बूम और बस्ट ) के चक्र को रोकने वाली ठोस बृहत आर्थिक नीतियों के माध्यरम से 21वीं सदी में एक ''मजबूत सतत और संतुलित विकास के लिए फ्रेमवर्क'' को बढ़ावा देने के लिए नेताओं की प्रतिज्ञा ; आईएफआई में सुधार के लिए गतिशील उभरते बाजारों और विकसित हो रही अर्थव्यलवस्थाी वाले देशों से अंतरराष्ट्री य मुद्रा कोष के कोटे में से कम से कम 5% को अधिक प्रतिनिधित्व वाले देशों से कम प्रतिनिधित्वी वाले देशों को अंतरित करने के लिए एक निर्णय; निम्नन प्रतिनिधित्वो वाले विकासशील तथा विकसित होने की प्रक्रिया से गुजर रहे देशों के लिए कम से कम 3% वोटिंग अधिकार बढ़ाने हेतु विश्व बैंक के लिए एक गत्या त्मोक सूत्र तैयार करने ; तथा विश्व बैंक एवं क्षेत्रीय विकास बैंकों के पास वैश्वि क चुनौतियों का सामना करने के लिए पर्याप्तत संसाधन सुनिश्चिंत करने के रूप में रहे हैं ।
7 नवंबर, 2009 को आयोजित अपनी बैठक में जी-20 देशों के वित्तत मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नरों ने कहा कि आर्थिक और वित्तीतय संकट में सुधार के लिए जी-20 के समन्विेत प्रयास के बाद परिस्थि ति अच्छीय हुई है । हालांकि आर्थिक पुनरुत्था न की गति और सम्मािन तथा नीतिगत समर्थन पर निर्भर है । उच्ची बेरोजगारी प्रमुख चिंता का एक विषय बनी हुई है । उन्हों ने कहा कि मजबूत, सतत और संतुलित विकास के लिए जी-20 फ्रेमवर्क का शुभारंभ किया गया है । इसका आकलन करने के लिए एक विस्तृरत समय-सारणी को अपनाया गया है तथा एक नई परामर्शी आपसी आकलन प्रक्रिया आरंभ की गई है । कहा गया कि मूल्यांतकन के लिए अंतरराष्ट्री य मुद्रा कोष और विश्वा बैंक के विश्लेयषण के द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी और उचित रूप में अन्यर अंतरराष्ट्रीरय संगठनों से भी आदान प्राप्ता होंगे।
10 मार्च, 2010 को वित्ती्य स्थियरता बोर्ड (एफएसबी) ने समकक्ष समीक्षा रिपोर्ट प्रस्तु त की जिसमें समीक्षा के निष्क1र्ष प्रस्तुीत किए गए । यह रिपोर्ट एफएसबी सचिवालय द्वारा समर्थित ऑस्ट्रेषलिया,कनाडा, नीदरलैंड,सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, स्विपटजरलैंड, बैंकिंग पर्यवेक्षण और ओईसीडी पर बेसल समिति से सदस्योंष को शामिल करके एक टीम द्वारा तैयार की गई थी । इस रिपोर्ट ने अंतरराष्ट्रीसय मानकों के पालन को मजबूत करने के लिए नए एफएसबी फ्रेमवर्क के तहत इस तरह की समीक्षा प्रस्तुत की है । 23 अप्रैल, 2010 को जी-20 देशों के वित्तर मंत्रियों, केंद्रीय बैंक के गवर्नरों ने वांशिंगटन डीसी में आईएफएफ डब्यू2010 बी स्प्रिं ग बैठकों के मौके पर मुलाकात की और वैश्वि क आर्थिक पुनरुत्थाटन में प्रगति, एक मजबूत, टिकाऊ और संतुलित विकास के लिए बदलाव और वित्तीवय विनियामक सुधार और अंतरराष्ट्री य वित्तीयय संस्थातनों के लिए एजेंडा पर चर्चा की ।
19-20 मई, 2010 को ''पिट्सबर्ग के बाद प्रभावी वित्तीीय बाजार विनियमन-उपलब्धिसयां और चुनौतियां'' विषय पर जर्मनी के संघीय वित्त' मंत्रालय द्वारा बर्लिन में एक अंतरराष्ट्री य सम्मेलन आयोजित किया गया ।
5 जून, 2010 को बूसान, कोरिया में आयोजित की गई वित्तल मंत्रियों तथा केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक में यह नोट किया गया कि वैश्विसक अर्थव्ययवस्थाक में प्रत्यामशित दर से अधिक तेजी से पुनरुत्थायन हो रहा है हालांकि इसकी गति विभिन्न देशों तथा क्षेत्रों में अलग-अलग है । संकट से निपटने के लिए जी-20 देशों द्वारा सुदृढ़ नीतिगत प्रक्रिया के फलस्वारूप विकास की गति को बहाल करने में उल्लेएखनीय सफलता प्राप्तद हुई । तथापि वित्ती्य बाजार की अस्थिूरता के कारण यह ज्ञात हुआ कि अभी भी पर्याप्तस चुनौतियां विद्यमान हैं । बैठक के दौरान सुसमन्वियत आर्थिक नीतियों को अपनाने का निर्णय लिया गया । एक सुदृढ़, टिकाऊ तथा संतुलित विकास के लिए अवसंरचना की पहचान एक ऐसे मुख्यन तंत्र के रूप में की गई जिसके द्वारा वैश्विएक अर्थव्यहवस्था् के पुनरुत्थारन को समर्थन प्रदान करने तथा मध्यिकालिक साझे अवसंरचना उद्देश्यों को प्राप्त् करने से संबंधित आसन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होकर काम किया जा सकता है । अब तक प्राप्त् की गई उपलब्धिियों का ब्यौ रा प्रस्तुुत करते हुए बैठक के दौरान वित्तीरय पुनरुत्थापन तथा सुधार के लिए सघन प्रयास किए जाने एवं विकास की गति को तीव्र किए जाने की आवश्य कता है ।
14 जून 2010 को ओईसीडी,डब्यूे क टीओ तथ अंकटाड ने नवंबर, 2009 से लेकर मई 2010 तक की अवधि के दौरान जी-20 देशों द्वारा व्याुपार एवं निवेश उपायों से संबंधित एक संयुक्त रिपोर्ट प्रस्तु त की तथा अंकटाड ने भी संरक्षणवाद को छोड़ने के प्रति वचनबद्धता व्य क्तत करते हुए एक सार्वजनिक रिपोर्ट प्रस्तुकत की ।
16 जून 2010 को आईईए, ओपीईसी, ओईसीडी एवं विश्वत बैंक ने 26-27 जून, 2010 के दौरान टोरंटो में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेछलन में प्रस्तुंत किए जाने के लिए '' जी-20 पहलों के लिए ऊर्जा सब्सििडी के स्को प तथा सुझावों का विश्लेसषण'' विषय पर एक संयुक्त रिपोर्ट तैयार की ।
18 जून, 2010 को वित्ती0य स्थिेरता बोर्ड ने ''वित्तीकय स्थि रता को मजबूत करने के लिए जी-20 की सिफारिशों के क्रियान्वोयन में प्रगति का सिंहावलोकन'' पर जी-20 के नेताओं को एक रिपोर्ट प्रस्तुशत की। वित्ती्य स्थितरता बोर्ड ने ''सर्वांगीण रूप से महत्वकपूर्ण वित्तीमय संस्था ओं द्वारा उत्परन्नर नैतिक जोखिम कम करने'' पर जी-20 के नेताओं को एक अंतरिम रिपोर्ट भी प्रस्तुपत की।
26 जून, 2010 को टोरंटो शिखर सम्मेपलन में नेताओं को निम्नंलिखित रिपोर्टें प्रस्तुरत की गईं –
''वित्ती्य क्षेत्रक द्वारा निष्प क्ष और पर्याप्त योगदान'' पर अंतरराष्ट्री्य मुद्रा कोष की रिपोर्ट।आईओएससीओ समिति ने तेल और खाद्य उत्पाुदों में कीमत की बढ़ोतरी और अस्थिारता संबंधी वैश्विीक चिन्ताऔ की अनुक्रिया में सितंबर, 2008 में वस्तुं वायदा बाजारों पर एक कार्य बल बनाया। इस कार्य बल की रिपोर्ट आईओएससीओ द्वारा जी-20 के नेताओं कोप्रस्तुीत की गई थी ।''अक्षम जीवाश्म ईंधन सब्सिसडी के यौक्तिबकीकरण और इसे चरणबद्ध बनाने पर जी-20 के प्रयासों पर रिपोर्ट''''जी-20 परस्प्र आकलन प्रक्रिया-वैकल्पिचक नीति परिदृश्यी '' पर आईएमएफ रिपोर्ट।जी-20 विकास ढांचा और परस्प र आकलन प्रक्रिया के लिए ''जी-20 और वैश्वि क घटनाक्रम'' पर विश्व- बैंक की रिपोर्ट।
27 जून, 2010 को चौथे जी-20 शिखर सम्मेतलन में नेताओं ने घोषणा की कि यह अपनी नई क्षमता में अंतरराष्ट्री य आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच के रूप में जी-20 का पहला शिखर सम्मेालन था । टोरंटो शिखर सम्मेीलन का विषय ''पुनरूद्धार और नई शुरुआत'' कहा गया था । यह देशों को समूहबद्ध करके सहकर्मी को समीक्षा के माध्यम से आपसी आकलन पूरा करने हेतु सुदृढ़, सतत और संतुलित विकास पर केन्द्रि त था । पुन: संतुलन की वचन बद्धताओं के भाग के रूप में विकसित देश अपना राजकोषीय घाटा, 2013 तक आधा करने और 2016 तक ऋण स्थिरर करने की राजकोषीय समेकन की स्थिितियों के प्रति वचनबद्ध हैं। विकास की कार्यनीति और राजकोषीय समेकन की तुलना में विकास के समेकन और पुनरूद्धार पर विभिन्न दृष्टिीकोणों पर सहमति बनी थी । जी-20 एजेन्डाु में पहली बार ''विकास'' की शुरुआत की गई थी और उच्चऔस्तपरीय विकास कार्यदल बनाया गया था ।
पांचवां जी-20 शिखर सम्मेयलन 11-12 नवंबर, 2010 को सियोल, दक्षिण कोरिया में आयोजित किया गया था । नेताओं ने अपने समन्विखत प्रयासों को जारी रखने और सुदृढ़, सतत और संतुलित विकास करने के लिए एक साथ मिलकर कार्य करने का वचन दिया। पुनरूद्धार के दौर में सामाजिक संरक्षण, सभ्यर कार्य प्रदान करने और कम आय वाले देशों में त्वयरित विकास सुनिश्चिसत करने के लिए रोजगार उत्पान्नप करना निर्धारित किया गया था।''संकट से परे साझा विकास '' विषय के तहत सियोल शिखर सम्मेलन का मुख्या आकर्षण नौ विकास स्तंतभों के लिए बहु-वर्ष कार्य योजनाओं में सन्निखहित जी-20 के विकास कार्यसूची का शुभारंभ किया गया; (i) बुनियादी ढांचे, (ii) मानव संसाधन विकास, (iii) व्याकपार (iv) निजी निवेश और रोजगार सृजन, (v) खाद्य सुरक्षा, (vi) विकास के साथ लचीलापन (vii) घरेलू संसाधन जुटाना, (viii) ज्ञान का आदान-प्रदान करने और (ix) वित्तीाय समावेश। एमडीबी को विशिष्टा क्षेत्रों में कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए कहा गया था और एक उच्चव स्तलरीय पैनल एमडीबी कार्य योजना की समीक्षा करने और बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए वित्तत पोषण के पैमाने पर करने के तरीकों की पहचान करने के लिए बनाया गया था।
छठे जी-20 शिखर सम्मे्लन 3-4 नवंबर, 2011 को कान, फ्रांस में फ्रेंच की अध्यदक्षता में आयोजित किया गया था । जी-20 शिखर सम्मे लन 2011 के लिए फ्रांसीसी प्राथमिकताएं थीं (क) अंतराष्ट्री य मुद्रा प्रणाली में सुधार, (ख) वित्तीसय विनियमन सुदृढ़ करना, (ग) जिन्सोंष की कीमतों में अस्थिअरता पर काबू पाना (घ) रोजगार सुदृढ़ीकरण और वैश्वीपकरण के सामाजिक आयाम, (ड.) भ्रष्टाबचार का मुकाबला (च) विकास एजेंडे के तहत बुनियादी ढांचे और खाद्य सुरक्षा के दो स्तं(भों पर केंद्रित करना । शिखर सम्मेकलन में यूरो क्षेत्र के संकट की पृष्ठतभूमि में वैश्विसक आर्थिक स्थिंति की समीक्षा की गई । कान शिखर सम्मेरलन के प्रमुख परिणामों में ऊर्जा बाजार में पारदर्शिता बढ़ाने और बुनियादी सुविधाओं पर उच्चे स्त्रीय पैनल की सिफारिशों का समर्थन, वस्तुा व्युनत्पिन्न् बाजार, वस्तुसओं की कीमतों में अस्थिवरता और कृषि पर कार्य योजना का विनियमन था। कान शिखर सम्मे़लन के अंतिम घोषणा का शीर्षक था ''हमारे आम भविष्यश का निर्माण; सभी के लाभ के लिए नए सिरे से सामूहिक कार्रवाई'' और इसके साथ ''विकास और रोजगार के लिए कार्य योजना थी''।
सातवां जी-20 शिखर सम्मेिलन 18-19 जून, 2012 को लॉस कैबोस में मेक्सििकन अध्य क्षता में आयोजित किया गया । इसमें विचार-विमर्श का केंद्र बिन्दुा था वैश्वि,क अर्थव्यावस्थाे की स्थ ति। शिखर सम्मे लन के परिणामों में एक था लॉस कैबोस विकास और रोजगार कार्ययोजना जहां व्यष्टि देश, जो जी-20 के लिए समर्पित हैं,को सुदृढ़, सतत और संतुलित विकास के लिए योगदान देने योग्यम उपाय करना है । यह कार्य-योजना भारत और कनाडा की सह-अध्युक्षता में ढांचा कार्यसमूह द्वारा तैयार की गई थी । इसके अतिरिक्ता वित्तीाय विनियमन के क्षेत्र में प्रगति दर्ज की गई और 10 बिलियन डॉलर के भारत के वचन के साथ-साथ अंतरराष्ट्री य मुद्रा कोष के वित्तीीय संसाधनों को मजबूत करने का वचन दिया गया । शिखर सम्मेालन में चर्चा किए गए अन्यत मुद्दों में विकास नीति, हरित विकास और व्यारपार तथा रोजगार शामिल थे ।
मेक्सिीकन प्रेसीडेंसी की पांच प्राथमिकताएं थीं :
आर्थिक स्थि रीकरण और फ्रेमवर्क और वैश्वि क अर्थव्येवस्थात चर्चा में विकास और रोजगार के लिए नींव के रूप में संरचनात्मरक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए;वित्तीतय प्रणाली को मजबूत करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए वित्तीिय समावेश को बढ़ावा देना ;एक परस्प़र दुनिया में अंतरर्राष्ट्री य वित्तीदय संरचना में सुधार ;खाद्य सुरक्षा बढ़ाना और कमोडिटी कमोडिटी की कीमतों में अस्थिीरता का समाधान करना औरसतत विकास, हरित विकास और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को बढ़ावा देना, मेक्सितको बाद के शिखर सम्मे लन के लिए सभी के लिए एजेंडे के रूप में हरित विकास को बढ़ावा दिया ।
अद्यतन सूचना: इतिहास और विगत अध्यक्षताएं
आठवां जी -20 शिखर सम्मेलन रूसी अध्यक्षता में 5-6 सितम्बर 2013 को सेंट पीटर्सबर्ग, में रूस में आयोजित किया गया था।
इस शिखर सम्मेलन के मुख्य परिणाम निम्नलिखित हैं:
सेंट पीटर्सबर्ग कार्य योजना, जिसमें पिछली प्रतिबद्धताओं के संबंध में की गई प्रगति को वर्णित करने वाले उत्तरदायित्व आकलन के साथ-साथ मजबूत, स्थायीवत और संतुलित विकास प्राप्त करने के लिए सुधार निर्धारित किए गए थे।जी -20 की प्रतिबद्धता का दायरा इस प्रकार बढ़ाना ताकि 2016 के अंत तक नए व्यापार या निवेश संरक्षणवादी उपायों को लागू न किया जाए।ओईसीडी –सृजित कार्य योजना को पूरा समर्थन करना, जिसका उद्देश्य कर आधार का कटाव और लाभ अंतरण का समाधान करना है।जी -20 विकास प्रतिबद्धताओं से संबंधित सेंट पीटर्सबर्ग उत्तरदायित्व रिपोर्ट, जिसमें विकास के लिए जी -20 को अपनाने के समय से लेकर की गई प्रगति और 2010 सियोल बहु-वर्षीय कार्य योजना निर्धारित की गई हैं।सेंट पीटर्सबर्ग विकास दृष्टिकोण का समर्थन जिसमें जी -20 के विकास कार्य की मुख्य प्राथमिकताओं, नए उपायों और वर्तमान उत्तरदायित्वों का जिक्र किया गया है।रोजगार संबंधी कार्यबल के लिए अधिदेश को एक और साल तक बढ़ाना।ब्रिस्बेन शिखर सम्मेलन द्वारा, सामूहिक और देश-विशिष्ट कार्यों के समूह की पहचान करना और इनका कार्यान्वयन शुरू करना जिससे घरेलू निवेश परिवेश में मूर्त रूप में सुधार होगा।सहमत वित्तीय नियामक सुधारों और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में सुधार के कार्यान्वयन के लिए पुन: पुष्ट प्रतिबद्धता।
नेताओं ने, सीरिया में हालातों को देखते हुए इस प्रमुख सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा की। जी -20 के नेताओं ने जी-20 की वर्षगांठ पर इस धारणा की पुन:पुष्टि की कि सभी के लिए स्थायीवत विकास की आधारशिला और बढ़ती समृद्धि बाजार के सिद्धांतों, जी-20 देशों की घनिष्ठ साझेदारी एवं सामूहिक कार्रवाई व प्रभावी नीतिगत समन्वय पर आधारित साझा उत्तरदायित्व, मजबूत वैश्विक संस्थानों द्वारा समर्थित प्रभावी विनियमन, समग्रता और मजबूत वैश्विक संस्थाओं पर आधारित खुली विश्व अर्थव्यवस्था है।
नौवां जी -20 शिखर सम्मेलन ऑस्ट्रेलियाई अध्यक्षता में 15-16 नवम्बर, 2014 को ब्रिस्बेन, ऑस्ट्रेलिया में आयोजित किया गया था। नेताओं ने आर्थिक विकास के एकजुट होकर कार्य करने, आर्थिक समुत्थान को बढ़ावा देने और वैश्विक संस्थाओं को मजबूत करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। इनके लिए, उन्होंने ब्रिस्बेन कार्य योजना और विस्तृत विकास कार्यनीतियां निर्धारित की। जी 20 के सदस्य देशों के सकल घरेलू उत्पाद में 2018 तक कम से कम अतिरिक्त 2 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस पर सहमति बनी है कि चार-वर्षीय अधिदेश के साथ वैश्विक अवसंरचना हब स्थापित किया जाए ताकि ज्ञान साझा करने का मंच विकसित किया जाए और सरकारी, निजी क्षेत्र एवं विकास बैंकों व अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच सहयोग एवं अवसंरचना बाजारों की कार्यप्रणाली एवं उनके वित्तपोषण में सुधार लाने के लिए नेटवर्क तैयार किया जाए। वैश्विक संस्थाओं को मजबूत करने के प्रति अपनी वचनबद्धता व्यक्त करते हुए, जी -20 के नेताओं ने नए कोटा सूत्र सहित, आईएमएफ कोटा प्रदान करने में लगातार विलंब और 2010 में सहमत प्रशासन सुधारों एवं कोटा की 15वीं आम समीक्षा पर अपनी निराशा व्यक्त की और संयुक्त राष्ट्र से इनमें सुधार करने का आग्रह किया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से कहा कि यदि ऐसा नहीं किया जाता, तो आगे कार्रवाई के लिए विकल्प तैयार रखें। नेताओं ने बेरोजगारी, विशेष रूप से युवा बेरोजगारी और पुरुषों एवं महिलाओं के बीच रोजगार के अंतराल को कम करने और प्राथमिकता के तौर पर वित्तीय समावेशन को बढ़ाने के लिए विप्रेषण के अंतरण की लागत कम करने के लिए भी प्रतिबद्धता जाहिर की। उन्होंने नए जोखिमों के प्रति सचेत रहते हुए सहमत वित्तीय विनियामक सुधारों को लागू करने के लिए भी प्रतिबद्धता व्यक्त की। यह सुनिश्चित करने के लिए कि जहां मुनाफाखोरी वाली आर्थिक गतिविधियों का निष्पादन किया जाए, लाभ पर कर लगाया जाए और जहां मूल्य सृजन किया गया है, अंतरराष्ट्रीय कर नियमों का आधुनिकीकरण करने के लिए जी -20/ ओईसीडी आधार अपरदन और लाभ अंतरण (बीईपीएस) कार्य-योजना को 2015 तक अंतिम रूप देने का प्रस्ताव किया गया है। अपनी भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाई के एक भाग के रूप में जी -20 के नेताओं ने सरकारी और निजी क्षेत्रों की पारदर्शिता में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है। जहां तक व्यापार का संबंध है, जी -20 नेताओं ने वार्ता को वापस पटरी पर लाने के लिए, बाली पैकेज के सभी तत्वों को लागू करने और दोहा विकास कार्यसूची के शेष मुद्दों पर शीघ्र ही, विश्व व्यापार संगठन के कार्य संबंधी कार्यक्रम स्पष्ट करने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की। नेताओं ने ऊर्जा के संबंध में अधिक सहयोग एवं ऊर्जा दक्षता में सुधार लाने और जलवायु परिवर्तन का समाधान करने हेतु प्रभावी कार्रवाई करने एवं अनुकूलन व न्यूनीकरण जैसे हरित जलवायु निधि के लिए वित्त जुटाने की आवश्यकता भी जाहिर की। गंभीरता और गिनी, लाइबेरिया और सिएरा लियोन में ईबोला की गंभीरता और आर्थिक प्रभाव को देखते हुए, जी 20 के नेताओं ने पूरे बयान में अपनी चिंता व्यक्त की और संकट के प्रति समन्वित अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया की आवश्यकता जताई।
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