.महमूद गजनवी

महमूद ग़ज़नवी (971-1030) मध्य अफ़ग़ानिस्तान में केन्द्रित गज़नवी वंश का एक महत्वपूर्ण शासक था जो पूर्वी ईरान भूमि में साम्राज्य विस्तार के लिए जाना जाता है। वह तुर्क मूल का था और अपने समकालीन (और बाद के)सल्जूक़ तुर्कों की तरह पूर्व में एक सुन्नी इस्लामी साम्राज्य बनाने में सफल हुआ। उसके द्वारा जीते गए प्रदेशों में आज का पूर्वी ईरान, अफगानिस्तान और संलग्न मध्य-एशिया (सम्मिलिलित रूप से ख़ोरासान), पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत शामिल थे। उसके युद्धों में फ़ातिमी सुल्तानों (शिया), काबुल शाहिया राजाओं (हिन्दू) और कश्मीर का नाम प्रमुखता से आता है। भारत में इस्लामी शासन लाने और आक्रमण के दौरान लूटपाट मचाने के कारण भारतीय हिन्दू समाज में उसको एक लुटेरे आक्रांता के रूप में जाना जाता है। सोमनाथ के मन्दिर को लूटना (1025) इस कड़ी की एक महत्वपूर्ण घटना थी।

वह पिता के वंश से तुर्क था पर उसने फ़ारसी भाषा के पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाँलांकि उसके दरबारी कवि फ़िरदौसी ने शाहनामे की रचना की पर वो हमेशा कवि का समर्थक नहीं रहा था। ग़ज़नी, जो मध्य अफ़गानिस्तान में स्थित एक छोटा शहर था, को उसने साम्राज्य के धनी और प्रांतीय शहर के रूप में बदल गया। बग़दाद के इस्लामी (अब्बासी) ख़लीफ़ा ने उसको सुल्तान की पदवी दी।

मूल

सुबुक तिगिन एक तुर्क ग़ुलाम (दास) था जिसने खोरासान के सामानी शासकों से अलग होकर ग़ज़नी में स्थित अपना एक छोटा शासन क्षेत्र स्थापित किया था। पर उसकी ईरानी बेगम की संतान महमूद ने साम्राज्य बहुत विस्तृत किया। फ़ारसी काव्य में महमूद के अपने ग़ुलाम मलिक अयाज़ के साथ समलैंगिक प्रेम का ज़िक्र मिलता है (हाफ़िज़ शिराज़ी)[1]। उर्दू में इक़बाल का लिखा एक शेर -

न हुस्न में रहीं वो शोखियाँ, न इश्क़ में रहीं वो गर्मियाँ;

न वो गज़नवी में तड़प रहीं, न वो ख़म है ज़ुल्फ़-ए-अयाज़ में।

(ख़म - घुंघरालापन)

सामरिक विवरण

997: काराखानी साम्राज्य

999: ख़ुरासानबल्ख़हेरात और मर्व पर सामानीकब्जे के विरुद्ध आक्रमण। इसी समय उत्तर से काराख़ानियों के आक्रमण की वजह से सामानी साम्राज्य तितर-बितर।

1000: सिस्तान, पूर्वी ईरान।

1001: गांधार में पेशावर के पास जयपाल की पराजय। जयपाल ने बाद में आत्महत्या कर ली।

1002: सिस्तान: खुलुफ को बन्दी बनाया।

1004: भाटिया (Bhera) को कर न देने के बाद अपने साम्राज्य में मिलाया।

1008: जयपाल के बेटे आनंदपाल को हराया।

ग़ोर और अमीर सुरी को बंदी बनाया। ग़ज़ना में अमीर सुरी मरा। सेवकपाल को राज्यपाल बनाया। अनंदपाल कश्मीर के पश्चिमी पहाड़ियों में लोहारा को भागा। आनंदपाल अपने पिता की मृत्यु (आत्महत्या) का बदला नहीं ले सका।

1005: बल्ख़ और खोरासान को नासिर प्रथम के आक्रमण से बचाया। निशापुर को सामानियों से वापिस जीता।

1005: सेवकपाल का विद्रोह और दमन।

1008: हिमाचल के कांगरा की संपत्ति कई हिन्दू राजाओं (उज्जैन, ग्वालियर, कन्नौज, दिल्ली, कालिंजर और अजमेर) को हराने के बाद हड़प ली।

ऐतिहासिक कहानियों के अनुसार गखर लोगों के आक्रमण और समर के बाद महमूद की सेना भागने को थी। तभी आनंदपाल के हाथी मतवाले हो गए और युद्ध का रुख पलट गया।

1010: ग़ोर, अफ़ग़ानिस्तान।

1010: मुल्तान विद्रोह, अब्दुल फतह दाउद को कैद।

1011: थानेसर।

1012: जूरजिस्तान

1012: बग़दाद के अब्बासी खलीफ़ा से खोरासान के बाक़ी क्षेत्रों की मांग और पाया। समरकंद की मांग ठुकराई गई।

1013: Bulnat: त्रिलोचनपाल को हराया।

1014 : काफ़िरिस्तान पर चढ़ाई।

1015: कश्मीर पर चढ़ाई - विफल।

1015: ख़्वारेज़्म - अपनी बहन की शादी करवाया और विद्रोह का दमन।

1017: कन्नौज, मेरठ और यमुना के पास मथुरा। कश्मीर (?) से वापसी के समय कन्नौज और मेरठ का समर्पण।

1021: अपने ग़ुलाम मलिक अयाज़ को लाहोर का राजा बनाया।

1021: कालिंजर का कन्नौज पर आक्रमण : जब वो मदद को पहुंचा तो पाया कि आखिरी शाहिया राजा त्रिलोचनपाल भी था। बिना युद्ध के वापस लौटा, पर लाहौर पर कब्जा। त्रिलोचनपाल अजमेर को भागा। सिन्धु नदी के पूर्व में पहला मुस्लिम गवर्नर नियुक्त।

1023:लाहौर। कालिंजर और ग्वालियर पर कब्जा करने में असफल। त्रिलोचनपाल (जलपाल का पोता) को अपने ही सैनिकों ने मार डाला। पंजाब पर उसका कब्जा। कश्मीर (लोहरा) पर विजय पाने में दुबारा असफल।

1024: अजमेर, नेहरवाला और काठियावाड़ : आख़िरी बड़ा युद्ध।

1025: सोमनाथ: मंदिर को लूटा। किंवदंतियों के अनुसार सोमनाथ के शिवलिंग के भग्नावशेषों को ले जाकर उसने ग़ज़नी के जामा मस्जिद का हिस्सा बनवाया। गुजरात में नया राज्यपाल नियुक्त और अजमेर की सेना से बचने के लिए थार मरुस्थल के रास्ते का सहारा।

1027: जाटों के खिलाफ़।

1027: रे, इस्फ़ाहान और हमादान (मध्य और पश्चिमी ईरान में)- बुवाही शासकों के खिलाफ।

1028, 1029: मर्व और निशापुर, सल्जूक़ तुर्कों के हाथों पराजय।

Visit the kavyesh gk world for ias page on fb

Comments

Popular posts from this blog

Nilgiri biosphere

મહા માનવ આંબેડકર સાહેબ

Chikangunya