Red corridor

रूसी क्रांति से प्रेरित नक्सलवादी विचारधारा के लोगों के लिए 'नक्सलवाद' मार्क्सवाद-लेनिनवाद-माओत्सेतुंगवाद के क्रांतिकारी पर्याय के रूप में जाना जाता रहा है। नक्सलवाद के समर्थक मानते हैं कि प्रजातंत्र के विफल होने के कारण नक्सली आंदोलन का जन्म हुआ और मजबूर होकर लोगों ने हथियार उठाए लेकिन वास्तविकता यह है कि नक्सली आंदोलन अपने रास्ते से भटक गया है। 

इसका तात्कालिक कारण है कि न व्यवस्था सुधर रही है और न इसके सुधरने के संकेत हैं, इसलिए नक्सली आंदोलन बढ़ रहा है। इसमें होने वाली राजनीति को देखकर सोचना पड़ता है कि वर्ग संघर्ष बढ़ाने के पीछे राजनीति है या राजनीति के कारण वर्ग संघर्ष बढ़ा है। 

PR

कुछ समय पहले तक नक्सलवाद को सामाजिक-आर्थिक समस्या माना जाता रहा है, मगर अब इसने चरमपंथ की शक्ल अख्तियार कर ली है। नक्सलवाद का जन्म पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में नेपाल की सीमा से लगे एक कस्बे नक्सलबाड़ी में गरीब किसानों की कुछ माँगों जैसे भूमि सुधार और बड़े खेतिहर किसानों के अत्याचार से मुक्त्ति को लेकर शुरू हुआ था। 

वर्तमान में नक्सलियों के संगठन पीपुल्स वार ग्रुप और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) दोनों मुख्यतः बिहार, झारखंड, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में सक्रिय हैं, जिनका शुमार पिछड़े व गरीब राज्यों में होता है। पीडब्लूजी का दक्षिणी राज्य आंध्र के पिछड़े क्षेत्रों में बहुत प्रभाव है। 

×

नक्सलवादी नेताओं का हमेशा आरोप रहा है कि भारत में भूमि सुधार की रफ्तार बहुत सुस्त है। उन्होंने आँकड़े देकर बताया कि चीन में 45 प्रतिशत जमीनें छोटे किसानों में बाँटी गई हैं तो जापान में 33 प्रतिशत, लेकिन भारत में आजादी के बाद से तो केवल 2 प्रतिशत ही जमीन का आवंटन हुआ है। 

एमसीसी और पीडब्लूजी संगठनों की हिंसक गतिविधियों के चलते इनसे प्रभावित कई राज्यों ने पहले ही प्रतिबंध लगा रखा है। इनमें बिहार और आंध्रप्रदेश प्रमुख हैं। इन राज्यों के खेतिहर मजदूरों के बीच इन चरम वामपंथी गुटों के लिए भारी समर्थन पाया जाता है। इस खेप में अब छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश भी आ चुके है। छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला, जिसकी सीमाएँ आंध्रप्रदेश से लगी हुई हैं, में नक्सलवादी आंदोलन गहराई तक अपनी पैठ जमा चुका है।

प. बंगाल से शुरू हुआ नक्सलवाद अब उड़ीसा, महाराष्ट्र, झारखंड और कर्नाटक में भी पैर पसार चुका है। प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह भी इस पर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं और इससे निपटने के लिए केन्द्र से हर सम्भव सहायता देने का वादा कर चुके हैं, पर अब तक सरकार की ढुलमुल नीतियों व केंद्र-राज्य में सामंजस्य न होने का फायदा उठाकर बीते सालों में नक्सलवादियों ने पुलिस और विशेष दल के जवानों पर घात लगाकर किए जाने वाले हमले एकाएक बढ़ा दिए हैं।

दुनिया के एकमात्र हिन्दू राष्ट्र को खत्म कर इस समय माओवादी तत्व भारत और नेपाल में अपने चरम पर हैं और चीन की तथाकथित 'शह' से भूटान और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय उग्र संगठनों से हाथ मिलाकर नेपाल के पशुपतिनाथ से लेकर आंध्रप्रदेश के तिरुपति तक 'लाल गलियारा' (रेड कॉरिडोर) बनाने की जुगत में लगे हैं। 

इनकी मंशा है कि दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों को भारत से अलग किया जा सके तथा पूर्वोत्तर राज्यों को भी भारत से अलग किया जा सके, ताकि माओवादी अपना शिकंजा इन राज्यों पर जमा उन्हें भी नेपाल की भाँति हड़प लें।

Visit the kavyesh gk world for ias page on fb

Comments

Popular posts from this blog

Nilgiri biosphere

મહા માનવ આંબેડકર સાહેબ

Chikangunya