Project TAPI
13 दिसंबर को मेरी (तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अशगाबाद से 311 किलोमीटर दूर स्थित यह शहर कभी ऐतिहासिक रेशम मार्ग का एक हिस्सा था) में भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी तथा तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबंगुली बेरदीमुहमदोव ने महत्वाकांक्षी तापी गैस पाइपलाइन परियोजना की आधारशिला रखी.
इन नेताओं ने एक पाइप व एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए जिसे एक डिब्बे में डालकर शिलान्यास स्थल पर जमीन में दबा दिया गया.
1800 किलोमीटर लंबी तापी गैस पाइपलाइन परियोजना के शिलान्यास समारोह में इन नेताओं ने एक बटन दबाया जिससे पाइपों की वेल्डिंग प्रक्रिया शुरू हुई.
तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (तापी) गैस पाइपलाइन परियोजना पर 7.6 अरब डॉलर खर्च आने का अनुमान है.
इस पाइपलाइन के जरिए भारत में बिजली संयंत्रों को गैस की आपूर्ति की जाएगी.
इस पाइपलाइन के दिसंबर 2019 तक चालू होने की सम्भावना है.
इस पाइपलाइन की गैस वहन क्षमता 9 करोड घनमीटर दैनिक होगी और यह 30 साल तक चलेगी.
इससे भारत और पाकिस्तान को प्रतिदिन 3.8-3.8 करोड घनमीटर और अफगानिस्तान को 1.4 करोड घनमीटर गैस प्राप्त होगी.
तापी के जरिए तुर्कमेनिस्तान के गलकी नाइश क्षेत्र से गैस कांधार (अफगानिस्तान) व मुल्तान (पाकिस्तान) होते हुए फाजिल्का (भारत) पहुंचेगी.
भारत ने कहा कि चारों देशों को मिलकर काम करना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि परियोजना की तकनीकी व वाणिज्यिक व्यावहार्यता बनी रहे.
पाकिस्तान ने कहा कि तापी परियोजना अग्रणी साबित होगी और मध्य एशिया को ऊर्जा की कमी से जूझ रहे दक्षिण एशिया से जोडने वाली इस तरह की और परियोजनाओं के लिए रास्ता खोलेगी.
अफगानिस्तान ने कहा कि गैस पाइपलाइन के साथ-साथ चारों देश फाइबर ऑप्टिक केबल के जरिए भी जुडेंगे।
तुर्कमेनिस्तान ने कहा कि यह परियोजना साबित करती है कि वह इतनी भारी मात्रा में गैस वहां ले जा सकता है जहां उसकी जरूरत है.
इसके अलावा एक बिजली पारेषण लाइन तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान व पाकिस्तान को जोडेगी.
इस परियोजना को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह वैश्विक उर्जा सुरक्षा के आधुनिक ढांचे का एक हिस्सा बने और एशिया क्षेत्र में आर्थिक एवं सामाजिक स्थिरता की एक सशक्त वाहक भी हो.
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